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رعی مسافر مسافت ا मस्क़र ب وگا؟ वोन अमामत बॅल ون ورتیں ا
رعی مسافر مسافت ا मस्क़र ب وگا؟ वोन अमामत बॅल ون ورتیں ا رب ممالک میں ویزے ر رہنے والوں ا اہم مسئلہ
पीडीएफ डाउनलोड करें और ऑनलाइन पढ़ें मुसाफिर की नमाज मुहम्मद इलियास अटारी द्वारा लिखित हर मुस्लिम के लिए एक महान इस्लामी और सूचनात्मक पुस्तक। अगर आप यात्रा पर हैं तो यह किताब आपको बेहतरीन जानकारी देगी। यदि आप यात्रा में हैं तो प्रार्थना में यह पुस्तक बहुत सहायक है। आप पाक ऐप्ज़ से उर्दू में अधिक इस्लामिक ऐप और मुस्लिम ऐप डाउनलोड कर सकते हैं।
उर्दू में मुसाफिर की नमाज
मुसाफिर: याह अरबी शब्द है हम का अर्थ है यात्रा या यात्रा करने वाला।
मुकीम: याह भी अरबी शब्द है हम का मतलब वाह आदमी जो अपने घर या शहर में हो।
कसर: याह भी अरबी शब्द है उस का मतलब काम या शॉर्ट है, यहां हम का मतलब 4 रकात वाली फर्ज़ नमाज़ को 2 रकात पढ़ना।
शब्दों में को समझाना है लिया किया क्यों की याह वर्ड्स इज आर्टिकल में बार बार आए गे।
इस्लाम ने जिन चीजों में लोगों को आराम और सहुलियत दिया है उन में से एक सफर भी है, सफर की वजह से आदमी को प्रेसीनी और मुश्ककत का सामना करता है, वह एक तरह से बहुत मजबूर है, फिर होता है। मेरे हम के लिए वही ऑर्डर हैं जो मुकीम होने की हलत में होते हैं तो आदमी की दीक़ात और प्रेसानी ज़दा हो जाए गी, इस लिए इस्लाम ने मुसाफिर लोगों का ख्याल करता हुआ उन को नाम भी सहुलियत और आसान से दिया है भी है, सफ़र के दुरान मुसाफिर को 4राकत वाली फ़र्ज़ नमाज़ को सिर्फ़ 2 रकात पढ़ने का ऑर्डर है, क़ुरान पाक में एक जग आया है:
{وَإِذَا َرَبْتُمْ ي الْأَرْضِ َلَيْسَ عَلَيْكَمْ َنَاحٌ َنْ تَقْصَقْصَقْصَقْصَقْصُرَوا مِنَ الصَّلَاةِ} [النساء: 101]
अनुवाद: जब तुम जमीं में सफर करो तो तुम पर कोई हरज नहीं की तुम नमाज में काम कर दिया करो। (ज़रूर निसा: 101)
आदमी मुसाफिर कब मन जाता है (दूरी की यात्रा)
जब किसी का 78 किमी या हमसे ज़दा यात्रा करने का इरदा हो, और वह अपने गांव या शहर से बाहर निकलें हो जाए तो हमें मुसाफिर कहां जी उदाहरण के लिए: अगर कोई आदमी जिस का घर दिल्ली में हो, और वह अलीगढ़ जाना चाहता हो , तो जैसे ही वाह गाजियाबाद में करे गा वाह मुसाफिर हो जाए गा।
क़सर नमाज़ की शुरुआत
मुसाफिर बन ने बाद अगर 15 दिन से कम रुकने का कार्यक्रम हो तो नमाज में कसर जरूरी है यानी जोहर, असर, और ईशा की नमाज 2, 2 रकात पढे गा, और फज्र और मगरिब की नमाज उसी तरह अपने घर में जैसे पढ़ता था, 2 रकात और 3 रकात, दो में कुछ कमी नहीं हो गी, और अगर जमात से पढ़ा रहा हो तो इमाम के साथ साड़ी नमाज पूरी पूरी पढ़े गा। इसी तरह अगर 15 दिन से ज़दा रुकने का प्लान हो तब भी सारी नमाज़ पूरी पढ़े गा।
क़सर नमाज़ की नियत, क़सर नमाज़ का मसाला?
से जिन नमाज़ों में कसर ज़रुरी है उन में मुसाफिर केवल 2 रकात की नियत करे, उदाहरण के लिए अगर जोहर की नमाज़ क़सर कर रहा हो तो दिल से यह तय करे की: मैं 2 रकर ज़ोहर की क़स्सर पढ़ा रहा हूँ। लिया जाता है की मुसाफिर पर 4 रकात वाली फर्ज़ नमाज़ 2 रकात में बदली हो जाती है, यानी अब मुसाफिर के ऊपर सिर्फ 2 रकात ही फर्ज़ है, इस लिए मुसाफिर सिर्फ 2 रकात की नियत करे गा।
सफ़र में सुन्नत और नफ़ल नमाज़
सफ़र में फ़र्ज़ नमाज़ से 4 रकात वाली 2, 2 रकअत हैं, लेकिन सुन्नत और नफ़ल नमाज़ का दोसरा मसाला है वह यह है की अगर समय हो उदाहरण के लिए: किसी जगा 2 या 4 दिन थाहरा हो तो पूरी पूरी पढ़ ले हमें का देखा मिला गा, आगर टाइम ना हो जैसे प्लेट फॉर्म पर हो या ट्रेन में हो तो ना पढ़े मैं कोई गुनाह नहीं है, मतलाब यह है सुन्नत और नफल मुसाफिर जब भी पढ़े गा तो पूरी पूरी पढे गा, क्या मैं कसर नहीं है।
मुसाफिर अगर जमात से नमाज पढ़े तो क्या हुकम है?
अगर कोई मुसाफिर जमात से नमाज पढे तो अगर मुसाफिर इमाम हो तो वाह 4 रकात वाली नमाज में सिर्फ 2 रकात की नियत करे, और 2 रकात पूरी करके वाह ये इलान कर दे की: मैं मुसाफिर हूं आप लोग अपनी पूरी करें .
और अगर मुसाफिर मुक्तादी हो यही वह इमाम के पिछे नमाज पढ़ रहा हो तो वह सूरत में वह कसर नहीं करेगा, बाल्की 4 रकात की नियत करे गा 2 रकात की नीयत नहीं करे गा चाहता वह मैं पूरी में हूं।
सफर में सुन्नत का वही हक है जो मुकीम होने की हलत में होता है
द्वारा डाली गई
عبدالله نادر
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Last updated on Feb 19, 2023
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Musafir Ki Namaz
مسافر کی نماز1.0 by Pak Appz
Feb 19, 2023