জসীম উদ্দিন -এর কবিতা आइकन

0.0.1 by Plabon Apps


Mar 3, 2017

জসীম উদ্দিন -এর কবিতা के बारे में

Jasim Uddin's poetry

এইখানে তোর দাদির কবর ডালিম-গাছের তলে,

তিরিশ বছর ভিজায়ে রেখেছি দুই নয়নের জলে।

এতটুকু তারে ঘরে এনেছিনু সোনার মত মুখ,

পুতুলের বিয়ে ভেঙে গেল বলে কেঁদে ভাসাইত বুক।

এখানে ওখানে ঘুরিয়া ফিরিতে ভেবে হইতাম সারা

সারা বাড়ি ভরি এত সোনা মোর ছড়াইয়া দিল কারা।

সোনালি ঊষার সোনামুখ তার আমার নয়নে ভরি

লাঙল লইয়া ক্ষেতে ছুটিতাম গাঁয়ের ও-পথ ধরি।

যাইবার কালে ফিরে ফিরে তারে দেখে লইতাম কত

এ-কথা লইয়া ভাবী-সাব মোরে তামাশা করিত শত।

এমনি করিয়া জানি না কখন জীবনের সাথে মিশে

ছোট-খাটো তার হাসি-ব্যথা মাঝে হারা হয়ে গেনু দিশে।

বাপের বাড়িতে যাইবার কালে কহিত ধরিয়া পা

''আমারে দেখিতে যাইও কিন্তু, উজান-তলীর গাঁ।''

শাপলার হাটে তরমুজ বেচি দু-পয়সা করি দেড়ী,

পুঁতির মালার একছড়া নিতে কখনও হত না দেরি।

नवीनतम संस्करण 0.0.1 में नया क्या है

Last updated on Mar 3, 2017

Minor bug fixes and improvements. Install or update to the newest version to check it out!

अनुवाद लोड हो रहा है...

अतिरिक्त ऐप जानकारी

नवीनतम संस्करण

निवेदन জসীম উদ্দিন -এর কবিতা अपडेट 0.0.1

Android ज़रूरी है

4.0 and up

अधिक दिखाएं

জসীম উদ্দিন -এর কবিতা स्क्रीनशॉट

टिप्पणी लोड हो रहा है...
खोज हो रही है...
APKPure की सदस्यता लें
सर्वश्रेष्ठ एंड्रॉइड गेम और ऐप्स के शुरुआती रिलीज, समाचार और गाइड तक पहुंचने वाले पहले व्यक्ति बनें।
जी नहीं, धन्यवाद
साइन अप करें
सफलतापूर्वक सब्सक्राइब!
अब आप APKPure की सदस्यता ले रहे हैं।
APKPure की सदस्यता लें
सर्वश्रेष्ठ एंड्रॉइड गेम और ऐप्स के शुरुआती रिलीज, समाचार और गाइड तक पहुंचने वाले पहले व्यक्ति बनें।
जी नहीं, धन्यवाद
साइन अप करें
सफलता!
अब आप हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता ले चुके हैं।